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Exclusive Interview: ‘मासूम सवाल’ के डायरेक्टर ने बताया क्यों जरूरी था पोस्टर में पैड के साथ ‘कृष्णा’ को दिखाना?


Masoom Sawal Controversy: ‘मासिक धर्म’ और ‘आस्था’ पर आधारित फिल्म ‘मासूम सवाल’ (Masoom Sawal) को लेकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा मचा हुआ है. सेनेटरी पैड पर भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर के चलते यह फिल्म विवादों में आई है. फिल्म के डायरेक्टर संतोष उपाध्याय (Santosh Upadhyay) पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगा हैं. इसके साथ ही फिल्म के मेकर्स और प्रोडक्शन टीम के ऊपर FIR भी दर्ज हुई है. अब इस मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए डायरेक्टर संतोष उपाध्याय ने रिएक्शन दिया है. संतोष उपाध्याय ने ‘News18.com’ से खास बातचीत में फिल्म की असल कहानी और पोस्टर विवाद पर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि फिल्म के पोस्टर पर सेनेटरी पैड दिखाना क्यों बेहद जरूरी है.

डायरेक्टर संतोष उपाध्याय (Santosh Upadhyay) ने बताया कि ‘मासूम सवाल’ (Masoom Sawal) फिल्म एक सच्ची घटना से प्रेरित है. फिल्म की पूरी कहानी एक 12 साल की लड़की के इर्द-गिर्द है, जिसकी समस्या उसके पहले मासिक धर्म के बाद शुरू होती है.

सत्य घटना से प्रेरित है ‘मासूम सवाल’
संतोष उपाध्याय एक डायरेक्टर ही नहीं बल्कि एक ज्योतिष भी हैं. ऐसे में लोग अपनी समस्याओं के निराकार के लिए उनके पास जाते हैं. संतोष उपाध्याय ने ‘मासिक धर्म’ जैसे बोल्ड सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने पर कहा कि उन्होंने यह फिल्म इसलिए बनाई ताकि ‘मेंसुरेशन यानी मासिक धर्म और आस्था से जुड़ी कुछ भ्रांतियों  के बारे’ में लोग जागरूर हो सकें. संतोष कहते हैं कि उन्हें स्टोरी आइडिया एक 12 साल की लड़की की कहानी से मिली. उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा, ”एक बार साल 2014 ऐसे ही रक्षा बंधन त्यौहार के दौरान मेरे पास एक 12 साल की लड़की आई, जो भगवान कृष्ण को अपना भाई मानती हैं और वह अपने भाई को राखी बांधना चाहती हैं. लेकिन वह मासिक धर्म की वजह से कान्हा की मूर्ति को छू नहीं पाती और न ही उन्हें राखी नहीं बांध पाती है.”

संतोष उपाध्याय ने आगे बताया, “लड़की अपनी समस्या लेकर उनके पास आई और रोकर यह सवाल किया कि क्या मासिक धर्म अशुद्ध होता? पीरियड के दौरान मूर्ति छू देने से क्या पाप लग जाता है? लड़की के इस सवाल से मैं काफी भावुक हो गया. इसके बाद मैं 2014 से इस पर फिल्म बनाने का विचार करने लगा.” डायरेक्टर के अनुसार, ‘मासूम सवाल’ उसी लड़की कहानी है जो पूरी तरह सत्य घटना पर आधारित है. यह ड्रामा फिल्म है लेकिन सच्ची घटना पर आधारित है.

पोस्टर कंट्रोवर्सी पर बोले-आजादी का कुछ लोग नाजायज फायदा उठा रहे हैं
‘मासूम सवाल’ बायकॉट और उसके पोस्टर कंट्रोवर्सी पर संतोष उपाध्याय ने ट्रोलर्स को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर हमारे देश में बड़ा ही हो-हल्ला होता है. हम बॉलीवुड वालों को या फिल्म बनाने वालों को अक्सर टारगेट किया जाता है. जबकि इस मामले में यहीं कहूंगा कि लोग अभिव्यक्ति की आजादी का नाजायज फायदा उठा रहे हैं. अगर कोई पोस्टर, जिस पर इतना विवाद खड़ा किया जा रहा है, उसे अगर जूम करके देखा जाए तो फिल्म की मूल किरदार ‘नियती’ (नितांशी गोयल) ने कान्हा को अपने हाथों में पकड़ रखा है. सेनेटरी पैड बैकग्राउंड में है. न कि पैड पर कान्हा को दिखाया गया है.”

पोस्टर पर सेनेटरी पैड दिखाना था बेहद जरूरी
‘पोस्टर कंट्रोवर्सी’ पर संतोष उपाध्याय का कहना है कि उन पर जो आरोप लगाए गए हैं. वह निराधार और बेबुनियाद है. इसका सत्यता से कोई लेना देना नहीं है. लोगों ने जो आपत्ति जताई है, उसे मैंने सुन लिया, लेकिन मेरा उससे कोई सरोकार नहीं है. पोस्टर में सेनेटरी पैड दिखना इसलिए जरूरी है क्योंकि यही फिल्म का मुद्दा है. हम इसके इतर नहीं जा सकते क्योंकि यदि हम ऐसा करते हैं तो फिल्म अपने मुद्दे से भटक जाती.”

उन्होंने अपनी बात को आगे क्लियर करते हुए कहा, “देखिए पोस्टर एक साइलेंट टीजर होता है. इस बात को सभी समझना होगा. अगर हम पोस्टर से पैड हटा देते हैं लोगों को क्या समझ में आएगा कि ये फिल्म किस विषय पर बनी है. जिन लोगों ने भी ट्रेलर नहीं देखा, वह पोस्टर देखकर क्या अंदाजा लगाएंगे. पोस्टर में पैड दिखाने का उद्देश्य बस इतना है कि लोग समझ सके कि फिल्म किस मुद्दे पर बनी है.”

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