मुंबई: दादा साहब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award 2022), भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के लिए सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। 60-70 के दशक की हिंदी सिनेमा की पॉपुलर अभिनेत्री आशा पारेख (Asha Parekh) को इस साल दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिल रहा है।आशा पारेख ने बहुत ही कम उम्र में अभिनय करना शुरू कर दिया था। उस समय उन्हें पर्दे पर बेबी आशा पारेख के नाम से जाना जाता था। निर्देशक बिमल रॉय ने बाल कलाकार आशा पारेख को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के मंच पर और जौहरी के रूप में उन्होंने दमदार अभिनय किया था। आशा तब सिर्फ 10 वर्ष की थी। इसके बाद आशा पारेख ने साल 1952 में बिमल रॉय की फिल्म ‘मा’ में काम किया।
लेकिन बड़े होने के बाद आशा पारेख ने सबसे पहले नासिर हुसैन द्वारा निर्देशित सुबोध मुखर्जी की ‘दिल देके देखो’ में नजर आई। इस फिल्म में उनके अपोजिट शम्मी कपूर दिखाई दिए थे। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी। उसके बाद हुसैन ने आशा पारेख के साथ 6 और फिल्में कीं। इनमें ‘जब प्यार किससे होता है’, ‘फिर ओह दिल लाया हूं’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘प्यार का मौसम’ और ‘कर्बान’ जैसी फिल्में शामिल हैं।
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आशा पारेख ने 1995 में अभिनय से संन्यास ले लिया। हालाँकि, उन्होंने फिल्मों और टीवी धारावाहिकों का निर्माण शुरू किया। आशा ने 2002 में फिल्मफेयर लाइव टाइम अचीवमेंट अवार्ड जीता। बाद में 2007 में, फिकी ने उन्हें लिविंग लीजेंड अवार्ड दिया।