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साउथ में 18 घंटे चलता है सिनेमा, रात 12 बजे वाला शो भी जाता है हाउसफुल


Cinema Ka Safar: भारत में सिनेमा के टिकट को लेकर एकरूपता का अभाव उत्तर भारत के सिनेमा के पीछे करने की बड़ी वजह रहा है. मनोरंजन के तमाम साधनों के बावजूद दक्षिण में आज भी सिनेमा को उत्सव के रूप में ग्रहण किया जाता है. दक्षिण भारत में फिल्म स्टारों के प्रति प्रशंसकों की चाहत बॉलीवुड के मुकाबले ज्यादा दिखती है, यह बात कई बार साबित भी हुई है. कमल हासन, रजनीकांत हों या एमजीआर और एनटी रामाराव, इन कलाकारों को उनके प्रशंसक दिलो-जान से चाहते हैं. सिनेमा के जानकार इन कारणों की पड़ताल करते हुए इसके पीछे दक्षिण भारतीय राज्यों में फिल्मों के प्रोत्साहन को बड़ी वजह बताते हैं. वहीं उत्तर भारत में ऐसे प्रोत्साहन की कमी हमेशा बनी रही.

प्यार झुकता नहीं, तेरी मेहरबानियां, फूल बने अंगारे, आज का अर्जुन जैसी फिल्मों के निर्माता निर्देशक रहे केसी बोकाड़िया कहते हैं कि सिनेमा का वही स्वर्णिम युग लौट सकता है, अगर फिल्म कंटेंट पर थोड़ा काम हो और सिनेमा का टिकट कम हो जाए. साउथ के सिनेमा में आज भी किसी भी सिनेमाघर में आगे की पहली दो पंक्ति का टिकट 20 रुपए में मिलता है. अगर कोई टॉकीज मालिक ये दो लाइन का टिकट 20 रुपए में नहीं दे तो लाइसेंस निरस्त हो जाता है. यही वजह है कि साउथ में सिंगल स्क्रीन आज भी शान से चलते हैं. आज जो मल्टीप्लेक्स में एक फिल्म देखने के लिए परिवार को 2000 रुपए खर्च करने पड़ते हैं, इतना खर्च उठाने में हमारी ऑडियंस सक्षम नहीं है.

बोकाड़िया बताते हैं- एक समय था जब 1000 दर्शकों की क्षमता वाले सिनेमाघर हाउसफुल होता था और 1000 लोग बाहर इंतजार करते थे. एक सप्ताह में 40 हजार लोग मूवी देखते थे. एक-एक फिल्म के 28 से 56 शो फुल जाते थे. अब 200 सीट के स्क्रीन वाले चार खाके नहीं भर पाते. क्योंकि वहां कंटेंट नहीं है दूसरा समोसा, पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक्स की ही कीमत है.

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फिल्म निर्माता केसी बोकाड़िया.

हिंदी में चार शो, दक्षिण में छह शो घंटे
सिनेमा के शुरुआती दौर में दो शो चलते थे. शाम 6 बजे से पहला शो होता था. रात 9 बजे चलने वाले शो को सेकंड शो कहा जाता था. गोयल बताते हैं कि यह शो भी हाउसफुल चलता था. बाद में हिंदी सिनेमा में आम तौर पर चार शो चलने लगे. सुबह 12 बजे से 3 बजे तक से रात 9 से 12 बजे तक के चार शो.

सेंट्रल सिने सर्किट एसोसिएशन के डायरेक्टर ओमप्रकाश गोयल बताते हैं कि इसके मुकाबले दक्षिण में सुबह 9 बजे से रात 3 तीन बजे तक 6 शो चलना आम बात है. इससे दर्शक अपनी सुविधा के अनुसार फिल्म देखने पहुंच सकते हैं. इन 6 शो के सफलता से चलने का कारण भी है की वहां टिकट के दाम कम रहे. जबिक हिंदी सिनेमा के लिए मुंबई, पंजाब, मप्र और अन्य राज्यों में अलग-अलग टिकट के दाम रहेंगे.आज कॉर्पोरेट सिनेमा के युग में 500 से 1000 रुपए तक के टिकट में दर्शकों की संख्या कम होना ही था.

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