Cinema

Lal Singh Chaddha Movie Review | जिंदगी के अनगिनत पहलुओं को दर्शाती आमिर खान की फिल्म ने किया निराश | Navabharat (नवभारत)


Lal Singh Chaddha

Photo- Instagram

अमेरिकी फिल्म ‘फॉरेस्ट गम्प’ की हिंदी रीमेक ‘लाल सिंह चड्ढा’ कहानी है नाम लाल के एक ऐसे शख्स की जिसके लिए उसकी मां और उसका प्यार रूपा ही ही उसका सब कुछ है.

फिल्म: लाल सिंह चड्ढा 

कास्ट: आमिर खान, करीना कपूर, मोना सिंह, नागा चैतन्य और शाहरुख खान 

निर्देशक: अद्वैत चदन 

रेटिंग्स: 2.5 स्टार्स 

कहानी: अमेरिकी फिल्म ‘फॉरेस्ट गम्प’ की हिंदी रीमेक ‘लाल सिंह चड्ढा’ कहानी है नाम लाल के एक ऐसे शख्स की जिसके लिए उसकी मां और उसका प्यार रूपा ही ही उसका सब कुछ है. बचपन से लाल रूपा के प्यार को पाने में जुटा है. वहीं में लाख सफलता और नाकामयाबी हासिल होने के बावजूद वो अपनी मां की सिखाई के बातों को नहीं भूलता और उसके लिए उनकी बातें पत्थर की लकीर है. जीवन के हर मोड़ पर अपने निरछल स्वभाव के चलते लाल कामयाबी हासिल करता है. उसकी कहानी कई लोगों को प्रेरित करती है.

अभिनय: लाल सिंह चड्ढा नाम के एक सिख व्यक्ति के किरदार में आमिर पूरी तरह से ढले हुए नजर आए. अपने किरदारों को बारीकी से ढाल लेने के लिए मशहूर अभिनेता ने यहां भी अपने बोलचाल, लुक्स और अंदाज में सभी को इम्प्रेस किया. फिल्म में करीना न सिर्फ खूबसूरती बल्कि एक्सप्रेशन्स और एक्टिंग के मामले में भी कमाल करती दिखी. फिल्म में मोना सिंह का किरदार भी काफी दमदार है. एक मां के रूप में वो बेहद जचती हुई नजर आई. नागा चैतन्य यहां लाल के दोस्त के रूप में काफी मजेदार दिखे. वहीं फिल्म में शाहरुख खान ने अपने कैमियो से सभी को इम्प्रेस कर दिया.

म्यूजिक: ‘ए दिल है मुश्किल’ और ‘विक्की डोनर’ समेत कई फिल्मों के लिए संगीत दे चुके तनुज टिकू ने इसका संगीत दिया है. फिल्म का म्यूजिक प्यार और शांति की अनुभूति कराता है. फिल्म का गीत ‘मैं की करां’, ‘कहानी’ और ‘तुर कल्लेयां’ काफी इमोशन से भरा है और ये आपके मन को भा जाएगा.

फाइनल टेक: फिल्म ‘सिक्रेट सुपरस्टार’ का निर्देशन कर चुके अद्वैत चंदन ने ‘फॉरेस्ट गम्प’ जैसी कॉम्प्लेक्स फिल्म का भारतीय रूपांतरण करके बड़ी हिम्मत दिखाई है. सिनेमा के लिहाज से ये फिल्म बेहतरीन है जहां कलाकारों के परफॉर्मेंस, 100 से अधिक लोकेशन्स और इसका म्यूजिक इसकी खासियत है. हालांकि फिल्म की कहानी काफी स्लो और खींची हुई नजर आती है. एक फिलोसोफिकल सफर पर ले जाती ये फिल्म वो रोमांच पैदा करने में नाकामयाब साबित होती है जैसा कि आमिर की फिल्मों से उम्मीद होती है. एक तरफ जहां ये जिंदगी के कई पहलुओं से रूबरू कराती है वहीं विभिन्न काल में सेट इसके सीन्स दर्शकों को एक समय के बाद बोर करते हैं.